भिण्डी की उन्नत खेती

भिंडी, जिसे "लैडी फिंगर" भी कहा जाता है, एक प्रमुख गर्मी एवं वर्षा ऋतु की सब्जी फसल है। यह भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

भिण्डी की उन्नत खेती

मृदा एवं जलवायु : भिंडी गर्मी के मौसम की फसल है। यह पाला नहीं सह पाती है। भिंडी की खेती हर प्रकार की मृदा में, जो उपजाऊ हो, की जा सकती है। तापमान न्यूनतम 18°C से अधिकतम 35°C के बीच फसल के लिए उपयुक्त है।

बीज दर किलोग्राम प्रति हेक्टेयर :-

बुआई का समय

संकर किस्म

संशोधित किस्म

 

फरवरी-मार्च में

6.50 कि.ग्रा.

35-40 कि.ग्रा.

जून-जुलाई में

5.00 कि.ग्रा.

12-15 कि.ग्रा.

बुआई का समय :

पर्वतीय क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल, मई, जून उत्तरी मैदानी क्षेत्र में - फरवरी, मार्च, जून से मध्य जुलाई

पूर्वी क्षेत्रों में जनवरी, फरवरी, अप्रैल से मई, सितम्बर से अक्टूबर

दक्षिणी क्षेत्रों में जनवरी, फरवरी, मई से जुलाई, अक्टूबर से नवम्बर

'बोने की अवधि में क्षेत्रों के स्थानीय मौसम के आधार पर परिवर्तन हो सकता है'

 

बोने का तरीका दूरी

खरीफ सीजन में लाइन से लाइन 60 से.मी., पौधे से पौधे -30 से.मी.

ग्रीष्म सीजन में लाइन से लाइन 30 से.मी., पौधे से पौधे 15 से. मी.

ग्रीष्म कालीन फसल के लिए बीज को बोने से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोना चाहिए। बुआई मेडों पर करनी चाहिए।

 

 खाद उर्वरक : खेत तैयार करते समय अच्छी तरह से तैयार किया गया 15-20 टन एफवायएम प्रयोग करें।

एन.पी.के. (कि.ग्रा./हेक्टेयर) का इस्तेमाल नीचे दिए गये अनुसार चार हिस्सों में बांटकर किया जाना चाहिए :-

अवस्था

एन

के

पी

खेत तैयार करते समय

40

100

100

बुआई के 20 दिन बाद

40

0

0

पुष्पण से पहले

40

0

0

पहली तुड़ाई के बाद

40

0

0

कुल

160

100

100

खरपतवार नियन्त्रण: बिजाई से एक दिन पहले फ्लुक्लोरालिन नामक दवा का 1 किलोग्राम (बासालिन 45 प्रतिशत 2.5 लीटर) का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेअर में छिड़काव करें। इसके तुरन्त बाद 3-4 सें.मी. गहरी रेक देने से भिण्डी की सब्जी व बीज वाली फसलों में खरपतवारों का नियन्त्रण किया जा सकता है।

पौध सुरक्षा:

बुआई के बाद : कीटनाशक / फफूंदनाशक

10-15 दिन बाद नुवाँक्रान 1 मि.ली. प्रति लीटर या डामीक्रोन 1.5 मि. ली. प्रति लीटर एवं कवच 2 ग्राम प्रति लीटर या बाविस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 30 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें।

20-25 दिन बाद : मोनोसिल या नुवाँक्रान (1) मि.ली.) और इन्डोफिल Z-78 (1 ग्राम) प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

35 दिन बाद: गन्धक 2.5 ग्राम और नीमार्क 5 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें।

40-45 दिन बाद: कार्बारिल 4 ग्राम प्रति लीटर एवं इंडोफिल Z-78/2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

50 दिन बाद: कैराथेन Z-78% मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें एवं फसल को 100-105 दिन, 120-125 दिन बाद दोबारा स्प्रे करें।

80 दिन बाद: सेविन (50% WP) 4 ग्राम प्रति लीटर पानी एवं कैराथन 1/2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

नोट : प्रत्येक छिड़काव करते समय दवा के घोल में स्टीकर अवश्य मिलायें।

तुड़ाई : बुवाई के समय 40-45 दिन बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। तुड़ाई 3-4 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।

 

नोटः  उपरोक्त दी गई सभी जानकारियां हमारे अनुसंधान केन्द्रों के निष्कर्षो पर आधारित है। फसल के परिणाम मिट्टी, प्रतिकूल जलवायु, मौसम, अपर्याप्त / घटिया फसल प्रबंधन, रोग एवं कीट के आक्रमण के कारण फसल तथा पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। फसल प्रबंधन हमारे नियंत्रण से बाहर है। अतः पैदावार के लिए किसान पूरी तरह जिम्मेदार है। स्थानीय कृषि विभाग द्वारा सुझाई गई सिफारिशें अपनाई जा सकती हैं।

 

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