बुआई की अवधि : मैदानों में, अक्टूबर के महीने से लेकर मार्च के प्रथम सप्ताह तक। यद्यपि, इसका सबसे बढ़िया समय मध्य फरवरी है।
बीज दर : 1.0 किलो/हेक्टेयर
दूरी: लाईन से लाईन: 200 से.मी., पौध से पौध 60 से.मी.
खाद की निर्धारित मात्रा: खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेअर बढ़िया विघटित एफवाईएम 30-40 बैलगाड़ियां इस्तेमाल करें। एन.पी. के की मात्राएं नीचे दिए अनुसार इस्तेमाल करें (किलो/हेक्टेयर)
अवस्था |
एन |
पी |
के |
रोपाई के समय |
80 |
100 |
100 |
तीसरी पत्ती अवस्था में |
40 |
0 |
0 |
पुष्पण से पहले |
40 |
0 |
0 |
कुल |
160 |
100 |
100 |
नोट: 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन = 87 कि.ग्रा. यूरिया, 100 कि.ग्रा. फास्फोरस = 217 कि.ग्रा. डी.ए.पी. 100 कि.ग्रा. पोटाश = 166 कि.ग्रा. एम.ओ.पी.
पौध सुरक्षा - प्रमुख कीट
माहो: इमिडाक्लोप्रीड (कॉन्फिडॉर) 0.6 मिली या थायामेथोक्साम (एक्टारा) 0.3 ग्राम या मेटासिस्टॉक्स का 2 मिली या मोनोक्रोटोफॉस का 15 मिली. या डाइमेथॉएट (रोगोर) का 2.5 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
पत्तियों की सुंडी तथा पत्तियों की इल्लियां :
मैलाथियान का 2 मिली. या क्विनॉलफॉस (एकालक्स) का 2 मिली या मेटासिस्टॉक्स का 2 मिली या कार्बारिल (सेविन) का 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
फल की मक्खी :
- फसल प्राप्त करने के बाद जुताई करके तथा मिट्टी को उलट-पुलट कर प्यूपा को बाहर निकाल दें।
- संक्रमित फलों तथा सूखी पत्तियों को इकटट्ठा करके उन्हें नष्ट कर दें।
- फलों को पौधों पर बहुत ज्यादा पकने न दें।
- फसल पर मैलाथियॉन का 2 मिली या कार्बारिल या लेबायसिड का 1.25 मिली या एकालक्स का 2 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
प्रमुख रोग :
भस्मी फफूंद (पाउडरी मिल्ड्यु): फसल पर डाईनोकैब (काराथेन) का 0.5-1.0 मिली/लीटर-पानी या ट्रायडिओमॉर्फ (कैलिक्सिन) का 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
रोमिल फफूंद (डाऊनी मिल्डयु): फसल पर मेटालैक्सिल + मैंकोजेब (रिडोमिल) का 1.5 मिली/लीटर की दर से छिड़काव करें।
फुझारियम मुरझान :
- फसलों को बदल-बदल कर बोएं (4-5 वर्ष)।
- फसल को कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) से । ग्राम/लीटर की दर से भिगोए।
एन्थ्रक्नोस:
- फसल चक्र अपनाएं।
- फसल को मैकोजेब (डाइथेन एम-45) 2 ग्राम/लीटर कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) 1 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें।
मोजायक वाइरस : माहो, तेला तथा चुरदा जैसे वायरस के वाहक कीटों की रोकथाम करें।
अच्छी फसल के लिए सुझावः
- बीज के जमाव का उचित तापमान 20-25°C, फसल बढ़वार एवं अच्छी पैदावार के लिए 25-30°C (दिन का) होना चाहिए। 40°C से अधिक तापमान पर नर फूल की सख्यां अधिक हो जाती है एवं फल गोल हो जाती है।
- 5-5.7 पी.एच. वाली मृदा हल्की, उपजाऊ एवं जल निकास वाली हो।
- 2-4 पत्तियां होने पर 3 ग्रा. प्रति लीटर बोरोन, कैल्शियम, मोलीबिडनम का स्प्रे करें।
- खेत में फसल पकने तक पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।