भूमि का चयन : रेतीली से दोमट मिट्टी (पी. एच. मान 6.5 से 7.0), जल भराव वाली भूमि उपयुक्त नहीं।
बिजाई का समय |
ग्रीष्मकालीन |
खरीफ (मानसून) |
एम.पी., झारखण्ड, बिहार, राजस्थान |
मार्च |
जून अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक मानसून के आगमन |
यू.पी, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र |
मार्च से अप्रेल प्रारम्भ तक पर 15 मई से जुलाई तक |
15 जनवरी से मार्च तक (रबी: 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर) |
बीज दर : ग्रीष्मकालीनः 8-10 कि.ग्रा. प्रति एकड़ खरीफ: 5-6 कि.ग्रा. प्रति एकड़
दूरी : ग्रीष्मकालीन - लाइनों का फासला 30 से मी. खरीफ- लाइनों का फासला 45 से.मी.
उर्वरक : यूरिया - 18 कि.ग्रा./एकड़ बिजाई के समय एस.एस.पी.- 100 कि.ग्रा. प्रति एकड़ या डी.ए.पी.- 35 कि.ग्रा. प्रति एकड़ सल्फर दानेदार - 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ ।
खरपतवार नियंत्रण : 700 एम.एल. पैडीमैथलिन 30 ई.सी. (स्टोम्प) प्रति एकड़ बिजाई के तुरंत बाद। एक निराई-गुड़ाई बिजाई के 25-30 दिन बाद।
सिंचाई : ग्रीष्म कालीन: पहली सिंचाई 20 दिन बाद तथा बाद में 2-3 सिंचाई 15 दिन के अन्तराल पर। खरीफः सिंचाईयाँ वर्षा की उपलब्धता के आधार पर करें।
हानिकारक कीट-
बालों वाली सुंडी (कातरा) : । एम. एल. मोनोक्रोटोफॉस या 2 एम.एल. क्विनलफॉस (एकालक्स) प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे करें।
हरा तेला व सफेद मक्खी : रोगोर (टैफगोर) । एम. एल. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
पीला मोजैक : रोगोर (टैफगोर) 1 एम.एल. प्रति लीटर पानी की दर से बिजाई के 20-25 दिन बाद स्प्रे करें।
पत्तों का धब्बा रोग, बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट : मैंकोजेब (इंडोफिल एम-45) 600 ग्रा. प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।