मूंग की बम्पर पैदावार लेने के लिए सुझाव

मूंग, जिसे हरी मूंग या ग्रीन ग्राम भी कहा जाता है, भारत की एक प्रमुख दलहनी फसल है जिसे गर्मी, खरीफ और रबी तीनों मौसमों में उगाया जाता है। यह फसल प्रोटीन से भरपूर होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक है, क्योंकि यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती है। कम लागत, कम समय (60–75 दिन) में पकने वाली होने के कारण मूंग की खेती भारत में टिकाऊ और लाभकारी खेती के लिए आदर्श मानी जाती है।

मूंग की बम्पर पैदावार लेने के लिए सुझाव

भूमि का चयन : रेतीली से दोमट मिट्टी (पी. एच. मान 6.5 से 7.0), जल भराव वाली भूमि उपयुक्त नहीं। 

बिजाई का समय 

ग्रीष्मकालीन 

खरीफ (मानसून) 

एम.पी., झारखण्ड, बिहार, राजस्थान

मार्च 

जून अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक मानसून के आगमन 

यू.पी, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र

मार्च से अप्रेल प्रारम्भ तक पर 15 मई से जुलाई तक 

15 जनवरी से मार्च तक

(रबी: 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर)

बीज दर : ग्रीष्मकालीनः 8-10 कि.ग्रा. प्रति एकड़ खरीफ: 5-6 कि.ग्रा. प्रति एकड़ 

दूरी : ग्रीष्मकालीन - लाइनों का फासला 30 से मी. खरीफ- लाइनों का फासला 45 से.मी. 

उर्वरक : यूरिया - 18 कि.ग्रा./एकड़ बिजाई के समय एस.एस.पी.- 100 कि.ग्रा. प्रति एकड़ या डी.ए.पी.- 35 कि.ग्रा. प्रति एकड़ सल्फर दानेदार - 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ । 

खरपतवार नियंत्रण : 700 एम.एल. पैडीमैथलिन 30 ई.सी. (स्टोम्प) प्रति एकड़ बिजाई के तुरंत बाद। एक निराई-गुड़ाई बिजाई के 25-30 दिन बाद। 

सिंचाई : ग्रीष्म कालीन: पहली सिंचाई 20 दिन बाद तथा बाद में 2-3 सिंचाई 15 दिन के अन्तराल पर। खरीफः सिंचाईयाँ वर्षा की उपलब्धता के आधार पर करें। 

हानिकारक कीट-

बालों वाली सुंडी (कातरा)  : । एम. एल. मोनोक्रोटोफॉस या 2 एम.एल. क्विनलफॉस (एकालक्स) प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे करें। 

हरा तेला व सफेद मक्खी : रोगोर (टैफगोर) । एम. एल. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 

पीला मोजैक : रोगोर (टैफगोर) 1 एम.एल. प्रति लीटर पानी की दर से बिजाई के 20-25 दिन बाद स्प्रे करें। 

पत्तों का धब्बा रोग, बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट : मैंकोजेब (इंडोफिल एम-45) 600 ग्रा. प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

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