मिट्टी से सफलता तक: मूंग की खेती के लिए आदर्श भूमि की तैयारी

मूंग (विग्ना रेडियाटा), जिसे हरा चना या ग्रीन ग्राम भी कहा जाता है, एक कम अवधि वाली दाल की फसल है जो उच्च प्रोटीन सामग्री, तेज़ विकास और नाइट्रोजन स्थिरीकरण में योगदान के लिए जानी जाती है। हालांकि, किसी भी फसल की तरह, मूंग भी सही मिट्टी और भूमि की स्थिति में ही सर्वोत्तम प्रदर्शन करती है। भूमि की सही तैयारी अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है, जबकि यह उच्च उपज प्राप्त करने के लिए सबसे आवश्यक चरणों में से एक है। इस लेख में मूंग की अधिक पैदावार और लाभप्रदता के लिए अपनाई जाने वाली श्रेष्ठ कृषि पद्धतियों को बताया गया है।

मिट्टी से सफलता तक: मूंग की खेती के लिए आदर्श भूमि की तैयारी
1. उपयुक्त किस्म का चयन
आपके कृषि-जलवायु क्षेत्र के अनुसार उच्च उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी किस्म का चयन सफलता की पहली सीढ़ी है। कुछ लोकप्रिय किस्में हैं:
  • PM-5, SML-668, पूसा विशाल, और IPM 02-3 (कंचन)
  • ये किस्में पीली शिरा रोग (Yellow Mosaic Virus – YMV) के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं और समान परिपक्वता तथा अधिक फली निर्माण के लिए जानी जाती हैं।
2. भूमि की तैयारी और मिट्टी का स्वास्थ्य
मूंग अच्छे जल-निकासी वाली दोमट मिट्टी में 6.0–7.5 pH स्तर पर अच्छी वृद्धि करती है। सही भूमि तैयारी से जड़ों का विकास बेहतर होता है:
  • 2–3 बार गहरी जुताई करें, इसके बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए हैरो चलाएं।
  • 5–10 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) या कम्पोस्ट मिलाएं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े।
  • राइजोबियम और पीएसबी (फॉस्फेट घुलनशील जीवाणु) से बीजों का लेपन करें, जिससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण और फास्फोरस अवशोषण में सुधार हो।
3. बुवाई का समय और विधि
समय पर बुवाई से प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है और कीट प्रकोप कम होता है:
  • खरीफ ऋतु: जून–जुलाई में बुवाई
  • रबी ऋतु: अक्टूबर–नवंबर में
  • गर्मी की फसल: फरवरी–मार्च में, गेहूं या आलू की कटाई के बाद
बीज दूरी: पंक्ति से पंक्ति 30 सेमी, पौधे से पौधे 10 सेमी।
बीज दर: बीज के आकार के अनुसार 15–20 किलो प्रति हेक्टेयर।
 सिंचाई प्रबंधन
मूंग को कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन विशेष चरणों पर सिंचाई से अच्छी उपज मिलती है:
  • पहली सिंचाई: बुवाई के 20–25 दिन बाद, फूल बनने की अवस्था में
  • दूसरी सिंचाई: फली बनने की अवस्था में
प्रारंभिक अवस्था में जलजमाव से बचाव करें।
5. पोषण प्रबंधन
  • दलहनी फसल होने के बावजूद मूंग संतुलित उर्वरक से बेहतर प्रतिक्रिया देती है:
  • प्रारंभिक उर्वरक खुराक: बुवाई के समय 15–20 किलो नाइट्रोजन (N) और 40–50 किलो फास्फोरस (P₂O₅) प्रति हेक्टेयर दें।
रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम करने के लिए राइजोबियम और पीएसबी जैसे जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें।
निष्कर्ष
यदि किसान बीज चयन, समय पर बुवाई, पोषण प्रबंधन और कीट नियंत्रण का सही मिश्रण अपनाएं, तो मूंग की खेती न केवल अधिक उत्पादक बन सकती है, बल्कि अधिक लाभदायक भी। ये सर्वोत्तम कृषि विधियाँ अपनाकर किसान मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारते हैं और सतत कृषि प्रणाली में योगदान देते हैं।

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